दोस्त
दोस्त
तु दोस्त भी है
और खास भी हैi
तुने मुझे इतनी
खुशियाँ दी है
की कोई बहस
होने पर खोने का
डर लगता है
तेरी दोस्ती
और चाहत
से मुझे खुद
पर गुमान है
और बहुत
नाज़ है
बस और
कुछ नही
कहना।
मैं कभी बहस
कर ही नहीं सकती
तुम्हे ऐसा लगता है
वो मेरा प्रेम है
सिर्फ प्रेम है।