चोरी
चोरी
न अक्षर चुराने दिया न अक्स चुराने दिया,
मैंने दिल में बैठा जो न सख्श चुराने दिया।
बदलते रहे लोग चेहरे के मुखौटे आये दिन,
मैंने अपनी मोहब्बत का न नक्श चुराने दिया।
जुम्बिश अश्क बहाने की किसी काम न आयी,
'राही' तेरे आशिक ने कोई न रक्स चुराने दिया।।