नजरें झुकाकर
नजरें झुकाकर
बेपनाह
मोहब्बत की थी हमने,
उनसे दिवानों की तरह।
कल वो
मिले हमसे
नजरें झुकाकर बेगानों की तरह।
उनका इंतजार
मुझे आज भी है
ये धड़कन
धड़कती है
आज भी उनके लिए।
दिल तोड़ जाने की
इजाजत
उन्हें आज भी है।
क्या कहे
उन्हें ?
बेवफा या बेहया।
अपने दिल से
यही
शिकायत
आज भी है।
खंजर घोंपा
होता,
तो हम हँसके
सामने आ जाते।
मगर उसने
प्यार का
सौदा किया,
सौदागरों की तरह।
पल भर में
सारी खुशी,
सारे सपनों का गला
घोंट दिया
उसने
एक शिकारी की तरह।
शिकवा, शिकायत
क्या करे उससे,
जिसके लिए
सब कुछ त्याग
दिया था हमने।
बेपनाह मोहब्बत की थी
हमने,
उनसे दिवानों की तरह,
कल वो
मिले हमसे
नजरे झुकाकर बेगानों की तरह।।