गुरु वंदना
गुरु वंदना
नतमस्तक हूँ तुमको गुरुवर
तुम ही हो मेरे परमेश्वर
बाकी सारा जग है नश्वर
लेकिन तुम हो अंतर प्राण
दिया है तुमने ज्ञान, हे गुरुवर !
दिया है तुमने ज्ञान |
ज्ञान चक्षु तुमने ही खोले
मुखारविंद से जो कुछ बोले
विज्ञान से सबका नाता जोड़े
कभी किया नही अभिमान
दिया है तुमने ज्ञान, हे गुरुवर !
दिया है तुमने ज्ञान ।
सही गलत का पाठ पढ़ाया
जीवन का उद्देश्य बताया
समाज में रहने योग्य बनाया
किया जगत कल्याण
दिया है तुमने ज्ञान, हे गुरुवर !
दिया है तुमने ज्ञान ।
अपनेपन का परिचय देते
जीवन के सब दुःख हर लेते
ज्ञान से सबकी गागर भर देते
रूठे चेहरों पर भी तुम, ले आते मुस्कान
दिया है तुमने ज्ञान, हे गुरुवर !
दिया है तुमने ज्ञान ।
समाज तुम्हारा ऋणी रहेगा
जगत निर्माता तुम्हे कहेगा
गुरु शिष्य के बीच यह नाता
युगों युगों तक अमर रहेगा
संपूर्ण जगत में तुम्हे मिलेगा, सबसे ऊँचा स्थान
दिया है तुमने ज्ञान, हे गुरुवर !
दिया है तुमने ज्ञान |