15 अगस्त की विदाई पर
15 अगस्त की विदाई पर
हर तरफ,
देशभक्ति का ज़ज़्बात है
यहां बस,
आज आज़ादी की बात है
कल फिर से,
"मैं" साफ और
बाकी पर इल्ज़ामात है,
मर चुका है आदमी और उसका ईमान ,
अब बस,
धर्म है, मजहब है,
ज़ुल्म है, और "जात" है!
हर तरफ,
देशभक्ति का ज़ज़्बात है
यहां बस,
आज आज़ादी की बात है
कल फिर से,
"मैं" साफ और
बाकी पर इल्ज़ामात है,
मर चुका है आदमी और उसका ईमान ,
अब बस,
धर्म है, मजहब है,
ज़ुल्म है, और "जात" है!