ऐतबार
ऐतबार
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क्यों तेरे दिल को मुझ पर ऐतबार आया ही नहीं
मैंने पूछा था तुझसे, तूने बताया ही नहीं ।
बिखर गया था आशियाना मेरा देखते-देखते
न तूने की कोशिश, मैंने भी बचाया ही नहीं ।
इस दुनिया में जीने के बहाने हैं बहुत मगर
बहानों के खिलौनों से दिल बहलाया ही नहीं ।
हर वक्त उमड़ता रहा तूफां सीने में मेरे
तड़पने दिया दिल को, मैंने समझाया ही नहीं ।
हर किसी को क्यों बताएं दर्दे - दिल की दास्तां
वो क्या जानेंगे, जिन्होंने जख़्म खाया ही नहीं ।
तेरा प्यार आखिरी था ' विर्क ' मेरी ज़िंदगी में
मैंने फिर कभी ख़ुद को आजमाया ही नहीं ।