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Bhawna Vaishnav

Others

3  

Bhawna Vaishnav

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शायरी

शायरी

3 mins
7.6K


1.

तन्हाई में ये दिल अकेला पड़ जाता है!

तन्हाई दूर करने के लिए एक तन्हा दिल ही काम आता है!

दो तन्हा दिलों का जब संबंध जुड़ जाता है,

तन्हाई खत्म हो जाती है, इश्क़ पैगाम लेकर आता है!

 

2.

तेरी शैतानियों में तेरे बचपन को देखा है!

तेरी नादानियों में तेरे भोलेपन को देखा है!

तेरे दिल से निकली दुआओं को खुदा की चाहत बनते देखा है!

तेरे एहसास को इन हवाओं के झोंको में देखा है!

तेरी मुस्कुराहट को तेरे दिल में छुपी नाराज़गी में देखा है!

तेरे आंसुओ को इन दर्द भरी सांसो में देखा है!

तेरे दिल को इस दुनिया की हर एक दुआ में देखा है!

तू है कितनी खूब, तुझे हर रोज़ चाँद के मुखड़े में देखा है!

 

तेरी आँखों में अपने गम को बहते देखा है मैंने!

तेरे जज़्बातो को दिल की ज़रुरत बनते देखा है मैंने!

इन कदमो को तेरे लिए बढ़ते देखा है मैंने !

इश्क़ में जीते तो सभी हैं , अपने दिल को तेरी उदासी में मरते देखा है मैंने!

 

4.

तेरी उदासी में मेरे प्यार के लफ्ज़ अश्क बनकर बह जाते हैं!

तेरे नैनों में अश्क देख मेरे नैना खुदको भुलाकर तेरे नैनों में खो जाते हैं!

मेरे खोए हुए नैना तेरे रोये हुए नैनो से  प्रेेेेम जताते हैं!

जब तेरे नैना खो जाते हैं अंधेरो में , मेरे नैना तेरे नैनो की रौशनी बनकर आते हैं"!

5.

मालिक ने मेहरबान होकर तुझे क्या फ़ितरत बक्शी है!

तेरी इसी फितरत को देख ख़ूबसूरती भी तुझे मरहबा करती है!

तेरी सुंन्दर अँखियो ने किसी को पाने की फ़रियाद की है!

तेरी फरियादों को सुन किस्मत ने तुझे तेरी चाहत बक्शी है!

मेरे शब्दो ने बस उसे निहारने की गुज़ारिश की है!

 

6.

मेरे लफ़्ज़ों का तेरे लफ़्ज़ों से इस कदर मिलना होगा, सोचा न था!

दोस्ती से पहले इश्क़ का इतिहास रचना होगा, सोचा न था!

तेरे नसीब से मेरे नसीब का इस कदर जुड़ना होगा, सोचा न था!

हमारी रूह को सात जन्मों तक साथ रहना होगा, सोचा न था!

 

7.

खोजते हैं हम तुम्हें चारो दिशाओं में

मिल जाआेगे जहाँ भी बस जाआेगे निगाहों में

तेरे एहसास की खुशबू बसने लगी है इन फिज़ाओ में

तेरी है चाहत होती है मुझे अपनी हर सजाओं में!

 

8.

खफा -खफा से हमें आपके इशारे नज़र आते हैं

दिन हो या रात आपके ही नज़ारे नज़र आते हैं

बुझे -बुझे से दो दिल मिलकर प्यारे नज़र आते हैं

रूठ कर जाना न कभी, दूरियों में दुःख के मौसम दीवारे बनते नज़र आते हैं!

 

9.

अब जगह नहीं मेरे दिल में तेरे जज़्बातों के लिए ,आज तुआरफ़ हुआ जो चेहरा काफी है पछताने के लिए

पाश-पाश हो गया हूँ मैं कोई नहीं संवारने के लिए ,आज जुस्तजू भी खत्म हो चुकी है तुझे दिल में बसाने के लिए

अब कुछ शेष नहीं इस दिल में छुपाने के लिए,मांग नहीं मेरे लफ़्ज़ों की दुनिया को समझाने के लिए

अब तारीकी ही तारीकी है नैनो को दिखाने के लिए, रौशनी की उम्मीद नहीं इन्हे हँसाने के लिए

अब शरारे ही शरारे हैं दिल को जलाने के लिए, सुकून नहीं दिल में इन्हें बुझाने के लिए!

 

10.

मैं यूँ ही तो घबराता नहीं, यूँ ही तो पछताता नहीं जो देखा न हो सवेरा कभी, उसके लिए यूँ ही तो मँडराता नहीं

जब तुम न थे तब भी गम था, अब तुम साथ होकर भी पास नहीं  गम और ज्यादा है, कुछ तो छुपा है इस दिल में जिसे मैं अल्फाज़ो में बतलाता नहीं

एक कड़ी है जीवन की जो सूनी सूनी सी लगती है, जो चेहरा न दिखता आईने में उसे में यूँ ही तो छुपाता नहीं

जो समझ न सका तुम्हारे पास रहकर वो तुमसे दूर होकर समझा है, जो होता है दिल के करीब उसे मैं यूँ ही भुलाता नहीं

 इश्क़ है अनमोल जिसका कोई तोल नहीं इस दुनिया में, अपने जीवन को त्याग कर कोई पराये को यूँ ही बचाता नहीं!


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