दिवाली आई
दिवाली आई
दीया, तेल, बाती है रंगी रंगोली
खिला आसमां है पटाखों की रैली
बड़े-बूढ़े बच्चे सब मिलके मनाये
ख़ुशी का है मौका आई दीवाली
लिखूँ मैं बधाई दीवाली है आई
सजाऊँ घर आँगन मैं लाऊँ मिठाई
बड़े शोर से ना जलाऊं पटाखे
दिया ही बहुत है मन में गर आई
आंगन में गोवर्धन है श्रद्धा ये प्यारी
धनतेरस से लेकर गजब तैयारी
भाई दूज की पूजा अनोखी है लागे
अंत मे जो आती पंचमी वो न्यारी
है त्योहार सबका न धर्म न जाती
सभी के घरों में रोशनी जगमगाती
चलो आओ मिलकर मनाये दीवाली
सौगात कितनी दीवाली ये लाती
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शशिकांत शांडिले (एकांत), नागपुर
मो.९९७५९९५४५०