एक ही अरमान
एक ही अरमान
जाति, धर्म का लेबल नही,
हूं मैं एक जान,
मैं मुस्लिम हूँ,
तू हिन्दू है,
है दोनों इंसान !
लहू है दोनों मे एक जैसा
दोनों हैं एक समान,
फिर आपस मे
क्यूं लड़ते हैं ?
करते हैं
एक दूजे का अपमान !
ला मैं तेरी गीता पढ़ लूं,
तू पढ़ ले कुरान,
अपने तो दिल में है दोस्त,
बस एक ही अरमान,
एक साथ हर जश्न मनाये
सारा हिन्दुस्तान...।