"ये चाँद"
"ये चाँद"
1 min
14.3K
ये चाँद क्यो उदास है
शीतल है जैसे कि हिम
इन सर्द रातो को समेटते हुए
अपने आगोश में
सिमटा हुआ
चाँदनी के लिबास में
मद्यम-मद्यम मदिर-सा
टूलता-सा खुमारी मे
इस रात के धुंधलते में
फिरता आवारा मुसाफिर-सा
आह, जागा था कभी
अब थम गया
उष्ण रक्त सा शिराओ में
शीत रात्री मे जम गया
चहलकदमी कर रहा
बाट जोह रहा
अपनी उषा की
नव विहान की खोज में
प्रभात की ओर
तिमिर चीर कर
तरूणालय-सा
बढता-सा चल रहा
तज अपनी संध्या सुन्दरी को
नव प्रेम का आलिंगन करने
हौले से बढ़ रहा।
उफ! अब ये चाँद क्यों उदास है?
शायद इसको मिलन की पिपास है
उत्सुकता है उस की इसे
इसलिए व्यग्र है और ये उदास है।