लाल सुर्ख होंठों पर
लाल सुर्ख होंठों पर
हर गम
छिपा लेता हूं,
तुझे देखकर
मुस्करा लेता हूं,
मेरी
पहली और आखिरी
उम्मीद तू,
मेरा जागरण और
नींद तू,
अभी
एक गुनाह करना
बाकी है,
तेरे लाल सुर्ख
होंठों पर,
मुस्कान लाना
बाकी है,
तू मुझमें है,
तो मुझे किसी की
जरूरत नही,
ऐ दिलरूबा,
तुझसा कोई
खुबसुरत नही।