माँ और बेटा
माँ और बेटा
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शौहरत से मेरी जिनको मिलती खुशी।
लाड़ला हूँ मैं उनका वो माँ है मेरी।
जिसके बिन एक पल मैं न रह पाता हूँ।
मैं जहाँ भी रहूं सामने माँ दिखी।
ये जगत वाले मुझको डराएंगे क्या ?
ढाल बन कर मेरी माँ है आगे खड़ी।
जिसकी ममता के आगे झुका ये जहाँ।
माँ से बढ़ कर नही इस जहां में कोई।
एक उसकी दुआ से बढ़ेगा बशर।
उसके साये में सारी दुआएँ पली।
माँ की क्षमता का गुणगान लिखता कमल।
उसके आशीष से चलती है लेखनी।