खुशियो का बसेरा हो
खुशियो का बसेरा हो
ना ही कोई झूठ ना ही कोई फरेब आता है मुझको,
सत्य की राह और सत्य ही पसंद आता है मुझको,
कल आज कल के खेल में सिमट कर रह गई है जिंदगी,
कहने को तो सब है अपने पर फिर भी कोई नही है,
राह प्यार की चुनी जो हमने तो दुश्मन बहुत बन गए,
नफरत फिर भी ना करना आया हमको जीवन के सफर में,
कोई झूठ भी कह ले हमसे तो सच मान लेते है हम,
और हमारा सच भी लोगो को हजम होता नही,
ऐ जिंदगी ले चल हमें तू दूर कहीं,
जहाँ खुशियों का ही बसेरा हो बसेरा हो..।