टूटती मोहब्बत
टूटती मोहब्बत
रब करे न मोहब्बत हो,
इसी आस मे जी गये,
न जाने कब राहों में,
मन का मोती गिरि पत्थर पर टूटा है।
तुम बिन न जीने को फरमाते हम,
खुश रहो ताउम्र दुआ करते हैं,
क्यूँ अटूट वफा कर चले,
एक कसक ने सारा जीवन लूटा है।
भावों को समझो कहीं,
इक आशा मन में थी,
न मालूम ताउम्र यूँ ही,
तमाम हो जाये।
आँखें पथरा गईं,
अदायें हुई बेजुबाँ,
"अंजलि" कहेय की नहीं मधुसूदन,
तेरी जफाओं का कहर टूटा है।