सोच लोगों की
सोच लोगों की
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कैसे सोच लोगों की ........
पीठ में छुरा घोंप कर .....कहते है कि हम डरते नहीं ....
उन्हें इतना भी समझ नहीं ......
शेर अकेले ही वार करते है ....गीदड़ो की तरह झुण्ड में नहीं ....
सामने वार करने की हिम्मत नहीं ....
छुप के तीर चलाते है ...... नाम दूसरों का बदनाम करते है...
क्या कहे ऐसे लोगों को ....
दोस्ती की आड़ में .....दुश्मनी निभाते हैं ....
मेरा कहना है इन लोगों को ....
खुलकर दुश्मनी निभाओ ....दोस्ती निभाना सीख जाओगे ।