रेलगाड़ी
रेलगाड़ी
रेलगाड़ी के सफ़र में,
खटर-पटर बहुत है ।
पर छुक-छुक छक-छक,
छक-छक छुक-छुक के बीच,
तमाशा भी है भरपूर,
मनोरंजन भी है भरपूर ।
साथ कुछ घंटों का,
किसी को लगता लम्बा,
किसी को लगता छोटा ।
साथ कुछ घंटों का,
किसी को ख़ूब भाता,
किसी को बहुत खटकता ।
अधसोए, अधजगे,
कुछ बैठे, कुछ पसरे,
कुछ पैर फैलाए मस्त,
कुम्भकरण से लेटे।
कुछ सिकुड़े-सिमटे कोने में,
राज पाट छोड़, बैठे हों जैसे ।
कोई मितभाषी,
तो कोई बड़बोला,
मौन धरे है बैठा कोई ।
कोई मस्त मिज़ाजी,
कोई नकचड सनकी पाजी ।
सीट को समझ राजगद्दी,
जमा है बैठा कोई,
पुट्ठे भर जगह पाने की,
फ़िराक़ में है खड़ा कोई ।
कोई पास आ रहा किसी के,
कोई दूर जा रहा किसी से,
मिलने की आतुरता,
बिछड़ने का ग़म,
कोई अनमना-गुमसुम बैठा,
ज़बरन बिठा दिया हो जैसे ।
चलती, रूकती, रेलगाड़ी,
कोई चड़ता, कोई उतरता,
कुछ शहर पहचाने से,
कुछ अनजाने से आते,
कुछ याद दिलाते वो दिन,
कुछ आजा-आजा पास बुलाते ।
बच्चों के तो भाग खुले हैं,
खिड़कियों पर क़ब्ज़ा जमाते,
रेलगाड़ी को खेल गाड़ी बनाते,
धमा-चौकड़ी मचा मचा,
किसी को लुभाते,
किसी को खीजाते ।
चना, मूँगफली
मठरी, भुजिया,
सब बँट जाता,
सब खप जाता ।
पानी, कोल्ड ड्रिंक, ठंडा-ठंडा,
चाई-चाई कोई कहता जाता ।
खुलता जब डिब्बा खाने का,
सबका मन ललचा जाता,
आचार, मुरब्बा, चटनी, भाजी,
पूरी-पराँठा, इडली-सांभर,
सारा डिब्बा महक जाता ।
इतना कुछ घटित हो जाता,
चंद घंटों के सफ़र में,
रिश्तों और ज़िंदगी को,
मिलती एक नयी चमक है,
कुछ जुड़ जाता, कुछ छूटा जाता,
रेलगाड़ी के सफ़र में ।
छुक-छुक छक-छक
चलती गाड़ी,
छुक-छुक छक-छक
रेलगाड़ी ।
रेलगाड़ी के सफ़र में,
खटर-पटर ज़रूर है,
पर तमाशा और,
मनोरंजन भी भरपूर है ।
चलते में ना उतरें,
चलते में ना चढ़ें,
सजग रहें,
सुरक्षित सफ़र करें।
महिलाओं, बच्चों,
वृद्धजन,दिव्यांगजन को,
सीट दें, सम्मान दें ।
मुफ़्त का ये मनोरंजन,
और जीवन के अनोखे
अनुभव के लिए,
साल में एक बार रेलगाड़ी में
सफ़र अवश्य करें !