धुआँ धुआँ है जिंदगी
धुआँ धुआँ है जिंदगी
धुआँ धुआँ है जिंदगी
खौफ से डरी डरी
उड़ चली है यूँ ही
सिगार के कश में घुली घुली।
छाया है चारों ओर मंजर
ना जाने क्यूँ तनहाई का।
रात है डरावनी,
साया भी गुम है कहीं।
वक्त की जंजीरों ने,
बांध रखा है हाथों को।
हाथों की काली स्याही ने,
लिखा है तकदीरों को।
धुआँ धुआँ है जिंदगी
खौफ से डरी डरी।