गर्मी आई
गर्मी आई
गर्मी आई
गर्मी आई
गद्दा पल्ली
कम्बल की
अब नहीं
ज़रूरत भाई।
रात मे छत पर
सो जाओ
मच्छरदानी
ज़रूर लगाओ।
नहीं तो मच्छर
खा जाएंगे।
पूरी रात न
सोने देंगे।
खून सभी का
पी जाएंगे।
मलेरिया बुखार
भी दे जाएंगे।
गर्मी में मच्छर
बढ़ जाते
रात भर सबको
खूब सताते।
मच्छर छोटी
जान है भैया।
हल्ला शोर
मचाकर सबके
ऊपर हमला करते।
वैसे तो हर
मौसम में रहते।
पर गर्मी में हैं
बहुत काटते।
मच्छरों से सब
बचकर रहना
छत पर सोना
मच्छरदानी लगाना
कमरे में क्वाइल
को लगाना।
गर्मी आई - गर्मी आई
साथ - साथ में
मच्छर भी लाई।
गर्मी के दुश्मन
हैं ये मच्छर।
गरीब - अमीर
सभी को काटते।
भेदभाव नहीं
किसी से करते।
ऐसी गर्मी आई है
साथ में मच्छर
भी लाई है।
यही मुसीबत
सबको है भाई !
गर्मी आई - गर्मी आई।