कभी सोचा न था...
कभी सोचा न था...
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कभी सोचा न था कि ऐसा भी कुछ होगा
तेरे बिना जीना मेरा इतना मुश्क़िल होगा...
आदत बन गयी हो या ज़रुरत ये नहीं जानता...
पर इस दिल को अब तेरा ही इंतेज़ार होगा...
ऐसा एक लम्हा नहीं निकला जब तेरे बारे में नहीं सोचा…
ऐसा एक सपना नहीं गुज़रा जिसमे तेरा हँसता हुआ चेहरा नहीं होगा…
चाहा बहुत फिर तुझसे जुड़ जाना…
पर सोचा क्या तुझे भी कुछ ऐसा होता होगा…
फिर लगा शायद तू मेरे बिना बहुत ख़ुश होगा…
अहमियत शायद अब तुम्हें न होगी मेरी...
और शायद फिर वही बदला सा तू होगा..
कभी सोचा न था कि ऐसा भी कुछ होगा…