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Adhiraj Jain

Inspirational Romance

1.0  

Adhiraj Jain

Inspirational Romance

‘चाय’

‘चाय’

2 mins
1.9K


एक ख़्वाहिश है,बड़ा एहसान होगा अगर पूरी हो जाऐ
तुम्हारे साथ एक कप चाय का फिर तज़ुरबा हो जाऐ
मैं डाइनिंग टेबल पर बैठ जाऊँगा इत्मिनान से
तुम्हें किचिन में चाय बनाते देखूँगा आराम से
प्लैटफ़ॉर्म से टिक कर खड़ी रहना तुम कुछ देर
चाय को थोड़ा और उबलने देना तुम कुछ देर
दरअसल चाय नहीं तब जज़्बात उबल रहे होंगे
मेरे लब से ग़ज़ल के कुछ शेर फिसल रहे होंगे
चाय बनते बनते में तुम्हें जी भर के देख लूँगा,
बशर्ते तुम चुप रहो
तुम बोलती इतना हो कि मैं तुम्हें सुनने के चक्कर में देखना भूल जाता हूँ
फिर बाद में तुम नाराज़ होकर कहोगी कि बताया नहीं मैं कैसी लग रही हूँ
अब भाई तुम अपनी बक बक बंद करो, तब कहीं तुम्हारे चेहरे को देखूँ
ख़ैर छोड़ो, तुम तो धुँआ होते दो गरम कप ट्रे में रख लाना
और कम शक्कर वाला कप मुझे देकर सामने बैठ जाना
फिर कप को अपने दाऐं हाथ में पकड़कर एक दम अपने सामने रखना,

धुँऐ के बीच से झाँकता सा तुम्हारा चेहरा देखना अच्छा लगता है
अच्छा चाय को ज़रा ठंडा हो जाने देना पहले
तुम्हारी आदत है, हर बार जीभ जला लेती हो
वैसे याद है पिछली बारिश में तुम बालकनी में चाय पीने की ज़िद करतीं थी
तुम पानी से बचती भी रहतीं थी और थोड़ा थोड़ा भीगना भी चाहतीं थी
सच कहूँ तो मिज़ाज-ए-जिंदगी भी कुछ वैसा ही हो चला है अब
मैं मुश्क़िलों से बचना तो चाहता हूँ, पर इनके बिना जीने में मज़ा हाँ है अब
वैसे जानती हो तुम्हारे साथ एक कप चाय ज़िंदगी आसान कर देती है
तुम्हारी आँखें बड़े आराम से मेरी हर किताब को क़ुरान कर देती हैं
और हाँ चाय के ज़ायक़े और तुम्हारी ख़ुशबू का जो मेल है ना, सचमुच बेमिसाल है
क़सम की क़सम खाता हूँ, दोनों थकान मिटाने का रामबाण इलाज हैं
तो बस अब तुम जल्दी से मेरी ये ख़्वाहिश पूरी कर दो
अपने साथ एक कप चाय पिलाकर मुझे फिर ताज़ा कर दो


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