स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
स्वतंत्रता की चलाई आंधी,
नाम था उसका मोहन गाँधी।
अंगेज गूस गए देश के अंदर,
चेतन् हो गया था पोर बंदर।
जनता की उसने बनाई कुमक,
दांडी से उसने उठाया नमक।
कस्तूरबा से करवाया श्रम,
अहमदाबाद में बनाया आश्रम।
बचपन में चबाये चने,
इंग्लेंड जाकर बेरी स्टार बने।
स्वतंत्रता की ज्योति जलाई,
हिंदुस्तान को आजादी दिलाई।
अंगेज को दिखलाया डंडा,
लहराया भारत का झंडा।
अंग्रेज ने जब करवाई हिंसा,
गांधीजी ने अपनाई अहिंसा।
अहिंसा का नारा लगवाया,
भारतीयों को खादी पहनाया।
अछूतो को बनाया परिजन,
नाम अनुपम दिया है हरीजन।
बापू बन गया उसका नाम,
किया जो उसने देश का काम।
देखना तुम जरूर गाँधी आश्रम,
गुलाब चंद बोले वंदे मातरम में।
देशमे अब नहीं है भय,
बोलो भारत माता की जय।