मज़हब या इंसान
मज़हब या इंसान
न वो हिन्दू है
न मुसलमान
न कभी वेद पढ़े,
न क़ुरान ।
ग्रंथों को निम्मित मान कर
है वो आतंक मचाता हैवान ।
इंसानियत कभी जानी नहीं
बोले मेरा धर्म महान !
ईश्वर, अल्लाह,
हैं दोनो हैरान
था मज़हब बनाया
या इंसान...?
न वो हिन्दू है
न मुसलमान
न कभी वेद पढ़े,
न क़ुरान ।
ग्रंथों को निम्मित मान कर
है वो आतंक मचाता हैवान ।
इंसानियत कभी जानी नहीं
बोले मेरा धर्म महान !
ईश्वर, अल्लाह,
हैं दोनो हैरान
था मज़हब बनाया
या इंसान...?