मैं जो भी हूँ
मैं जो भी हूँ
मैं जो भी हूँ जैसा भी हूँ
पर मेरे जीने का अंदाज़ हो तुम
कौन कहता है शांत नदी हूँ मैं
मेरे अंदर की तेज़ बहाव हो तुम
ठण्ड में नरम धूप के जैसे
देती हुई प्यार की छांव हो तुम
अजीब कशमकश है तेरी नज़रो में
मानो प्याले में रखी शराब हो तुम
असर कर गया फाग मुझ पर
और उस मौसम की बरसात हो तुम
जो बसा है वर्षों से मेरे मन में
शायद वो ख़्वाब हो तुम
जब जब तरसता हूँ
हर बार मिलती नायब हो तुम
मेरे हर एक सवाल का सुन लो
पहली और आखरी जवाब हो तुम
जिसे पढ़कर सुकून मिले दिल को
सच में वो किताब हो तुम
अब क्या लिखूँ तुझे ए दिल
आर्यन की एक एहसास हो तुम