#माँ
#माँ
मम्मा जगमग तारों में तुम
कैसे मेरे बिन रहती होगी
क्या याद मुझे तुम भी
हरपल ऐसे ही करती होगी
मम्मा सुबह सवेरे उठ जाता हूँ
पर पास नहीं तुमको पाता हूँ
आंखें मूंदे लेटा रहता हूँ
तुमको ही सोचा करता हूँ
पास अभी तुम आओगी
प्यार से मुझे जगाओगी
चुप से दूध भी पी लेता हूँ
तंग जरा भी न करता हूँ
होमवर्क भी बाकी न रहता
और खेलने को भी न लड़ता
मम्मा जब तुम वापस आओगी
मुझको अच्छा बच्चा पाओगी
हां मम्मा चुपके से सुनना
और किसी से भी न कहना
भूख नहीं बिलकुल भी होती
कौन खिलाए दौड़ के रोटी
पापा तो आफिस जाते हैं
हां अब जल्दी घर तो आ जाते हैं
दादी थोड़ा सा ही चलती हैं
पर अक्सर घुटने अपने मलती हैं
पापा से लोरी सुन लेता हूँ
सोने का बस नाटक करता हूँ
तुम जब मुझे सुलाती थीं ना
चूड़ी छन छन बजती थी ना
मम्मा सबकी जब मम्मी आती हैं
तेरी याद बहुत आती है
भगवान कभी जब मिलेंगे तुमसे
सब कह देना तब तुम उनसे
मेरी टॉफी और खिलौने ले लें
गुल्लक के सब सिक्के ले लें
भोग से पहले न लड्डू मागूंगा
उनकी मिठाई भी न देखूंगा
बहुत लडूंगा इक रोज मैं उनसे
क्यों वो मेरी सुनते नहीं
क्यों तुमको वो लेकर गए
क्या उनकी अपनी मम्मी नही