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Sourabh Kumar Shrivastava Shubh

Others

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Sourabh Kumar Shrivastava Shubh

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कविता

कविता

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मशरूफ है महफिलों में वे बहुत लेकिन,

आशियां उजड़ रहा उनको परवाह नहीं है ।।


मशहूर है रिश्ते बनाने में वो नए लेकिन,

कोई अपना बिछड़ रहा उनको हवा ही नहीं है ।।


सुना है रूतवा बहुत है शहर में उनका,

घर में कोई बात मगर करता भी नहीं है ।।


दिन भर चमकता है सूरज की रोशनी से,

जलाने को रात में एक भी शम्मा नहीं है ।।



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