मैं उनसे मोहब्बत करने चला हूँ
मैं उनसे मोहब्बत करने चला हूँ
अधूरे ख़्वाबों को संजोने चला हूँ,
अधूरी मंज़िलों को पाने चला हूँ
कोई मुझे मेरी मंज़िल का रास्ता न बताये,
मैं खुद अपनी ज़िन्दगी को आजमाने चला हूँ।
फिर से खोने लगा हूँ, दुनिया की इस भीड़ में,
मैं ख़ुद में ख़ुद को तलाशने चला हूँ।
बहुत शोर है इश्क के बाजारों में,
मैं समुन्दर सी ख़ामोशी लिये चला हूँ।
बहुत फ़रेब मिला मुझे हर एक शख्स से,
लेकिन जाने क्यों जमाने से मिलने चला हूँ
इश्क में सब कुछ लूटा कर भी,
मैं उस पर प्यार लुटाने चला हूँ।
जिन्हें चन्द दिनों की मुहब्बत निभानी नही आती
मैं उनसे मोहब्बत करने चला हूँ।