तो क्या हुआ ?
तो क्या हुआ ?
तो क्या हुआ,
दुःख की घनघोर घटा छायी है ?
अरे भाई !
यह तो सुख के सिंचाई की तैयारी है !
तो क्या हुआ,
अंधेरा ही अंधेरा है, सब्र करो !
कल फिर सूरज सारे,
विश्व को जगमगाने वाला है !
तो क्या हुआ,
अकाल घिर गया तो धीरज रखो !
कल सूरज फिर उगेगा,
तेरा हर सपना पूरा होगा !
तो क्या हुआ,
नौकरी गयी तो मिल जायेगी !
सर सलामत तो पगड़ी पचास,
फिर किस बात से डरना है ?
तो क्या हुआ,
वह नहीं मिली तो, और सही !
बीता कल गुज़र गया,
उज्जवल भविष्य तो सामने है !
तो क्या हुआ,
मंज़िल है ना कोई रास्ता,
अभी भी वक्त है,
सपने बुनो, पूरे करो,
तुम्हें तो ऊँचे गगन में उड़ना है !
तो क्या हुआ,
पतझड़ का मौसम है,
जल्द ही है बसंत बहार,
फिकर ना करना चलते रहना,
मेहनत कर तू ख़ुदा का बंदा है !