प्रेम की पाती
प्रेम की पाती
मैं प्रेम की पाती
रोज ही लिखती
उसमे लिखती
अरमां सारे
सुख दुख की
लिखती परिभाषा
भावों के लिखती
सारे इशारे
तुम बिन कैसे
बीती रातें
कैसे कटते
दिन रैन ये सारे
रोज़ ही लिखती
रोज़ ही पढ़ती
लेकिन वो
प्रेम की पाती
बस तुम को
भेज न पाती।