मुसव्विर
मुसव्विर
ओ मुसव्विर अक्स मेरी आँख में है प्यार का
देख कर उसको बना दे चित्र मेरे यार का।
रंग थोड़ा साँवला है रुख़ दमकता धूप सा
लगता है जैसे कि कोई फूल हो रतनार का।
नैन उसके तिरछे काले होंठ पर लाली लगी
गाल पर तिल एक छोटा रूप है शृंगार का।
वो खुली सी गेसुएँ लगती समुंदर की लहर
जब हवा में उड़ती है तो रूप लगती ज्वार का।
रंग मेरी चाहतों का भर मुसव्विर चित्र में
तू बना दे सबसे सुंदर चित्र इस संसार का।ो