तेरी उल्फ़त
तेरी उल्फ़त
इन्हीं उल्फ़त में आप हमें आज़माते हो।
शुक्र-ए-इल्जा़म यूँहीं हमपर लगाते हो।।
नज़राना दर्द-ए-पेशी आप हमसे करवाते हो।
इश्क-दरबान में कागज़ के फूल चढ़ाते हो।।
इन्हीं उल्फ़त में आप हमें आज़माते हो।
शुक्र-ए-इल्जा़म यूँहीं हमपर लगाते हो।।
नज़राना दर्द-ए-पेशी आप हमसे करवाते हो।
इश्क-दरबान में कागज़ के फूल चढ़ाते हो।।