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Dheeraj Dave

Others Romance

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Dheeraj Dave

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तोहफे

तोहफे

1 min
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खुद के ही पुराने तोहफे दूसरों को

नई पैकिंग में देने की मुझे आदत है

वो मेरे एक दोस्त की दी हुई

दीवार घड़ी

मैं मेरे दूसरे दोस्त की बहन की

शादी में बड़े करीने से सजा के

दे के आया था

मेरी एक ही तस्वीर न जाने

कितने ही फ़िल्टर लगाए

पड़ी है बीसीयों लड़कियों की

गैलरी में

यार में शायर हूँ,

अक्सर पढ़ता हूँ कि

अभी परसो की ही लिखी ये ग़ज़ल

सबसे पहले मैं

मोहब्बताबाद की इस धरती को नज़र

करता हूँ

चाहे उसी शहर के

कब्रिस्तान की सबसे जूनी कब्र

मेरे साथ वही ग़ज़ल पढ़ रही हो

तेरी मेरी यूँ भी बनती है क्योंकि

तुम भी अपने सारे जुने झगड़ो को

नए बहानों नए आंसुओं में तर कर

अक्सर मुझको ठगती रहती हो

"जानू! मैं तो लड़की हूँ ना"


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