दर्द का फोड़ा
दर्द का फोड़ा
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आज मन में कुछ रिस रहा है
दर्द का फोड़ा घुल सा रहा हैl
क्यों छाई है मायूसी मेरे दिल पर
आज दिल मेरा रो रहा हैl
बिखर गये है सपने सभी सुहाने
वजूद फिर चरमरा रहा हैl
सहा जाता नही जमाने भर का ग़म
करने को बगावत दिल उकसा रहा हैl
पैरों में पड़ी है ज़ंजीर परम्पराओं की
मेरा मन तोड़ने को चिल्ला रहा है l