चेहरा
चेहरा
उन्होंने यह खिलखिलाता चेहरा युंही नहीं दिखाया था मुझे,
मैंने इज़हार किया था साथ रहने की चाहत का उसकी खुशी का कारण था यह।
वो इंतजार में था कि कब हाँ बोलूंगी और कल रात को तो खुद ही पूछ लिया उन्होंने,
क्या थामोगी हाथ मेरा और कहा था ना मैंने,
डर था मुझे जल्दबाज़ी न कर दूॅं इस रिश्ते में,
और दिल टूटा दोनों का ही टुकड़ो में।
पर रात काफी लंबी थी यह समझने के लिये,
की एक बार कोशिश करनी तो चाहिए,
समय कितना बिता साथ बिताए अच्छे लम्हों से ज़्यादा नहीं रखता मायने।
तो उठी सुबह किया इश्क़ का इज़हार
इश्क़ से लिपटी एक लड़की ने,
उन्होंने बोला मुझे रुको डर गयी थी मैं,
फिर कहा उन्हींने इज़हार तो मैं ही करूँगा तुझे,
और बच्चे में लड़की ही चाहिए मुझे।