उसने अब नहीं कहना सीख लिया
उसने अब नहीं कहना सीख लिया
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हाँ सही करते हो तुम
डाल दो तेज़ाब उस लड़की के चेहरा पे
पिघला दो उसका चेहरा उसका शोख़ बदन
कर दो बीच बाजार उस लड़की को ज़लील ऐसा
की झुक जाऐ उसका सर हमेशा के लिए
उखाड़ दो उसके नाख़ून काट दो उसकी उँगलियाँ
जो उठती है अब तुम्हारे गुनाहों पर
नोच लो उसकी आँखें दबा दो अपने जूतों के नीचे
जिसने हिम्मत की तुम्हारी आँखों में आँखे डालने की
मारो उसे चाबुक सर से पाँव तक
के ख़ून का एक क़तरा भी उसका अब आज़ादी न माँगे
लाओ कुल्हाड़ी बाजार से और काट दो उसके पैर
जो अब तुमसे भी तीज रफ़्तार में चलने लगी थी
डंडे से मरो उस लड़की को तोड़ दो उसकी रीढ़ की हड्डी
जो अब झुकती नहीं तुम्हारे झुकाने पर
पर असली गुनहगार तोह उस लड़की की ज़ुबान है
क्यों कि उसने अब नहीं कहना सीख लिया है
उस लड़के को उस समाज को उस मज़हब को