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Ambuj Pandey

Abstract

4.9  

Ambuj Pandey

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माँ

माँ

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लाख ख्वाहिशें महज़ एक ज़रूरत है,

तू मेरी पहली मुहब्बत है,


बहुत बड़ा है किस्सा चल थोड़ा कहता हूँ,

तुझमे तुझसे ज्यादा मैंं हरदम रहता हूँ,

कितना कुछ कह डाला पर अब भी बातें हैं,

मेरी नींद बिन होती कहाँ तेरी रातें है,


आंसू मेरे तेरे लिए सैलाब रहे हैं,

मेरे सपने ही बस तेरे ख्वाब रहे हैं,

हो तेरा संग फिर कोई बला कहाँ जुर्रत है,

तू मेरी पहली मुहब्बत है।


मैं न बोलूं बार बार पर खबर तुझे है,

दिल टूटा है या फिर कोई दर्द मुझे है,

देर होंठ हिलने की है तू सुन लेती है,


मेरे पंख उड़ने से पहले बुन देती है,

गलती करने पर फटकार लगा देती है,

चूम के फिर माथा सब तू समझा देती है,

सबका इश्क़ इश्क़ होगा तुझमें शिद्दत है,

तू मेरी पहली मुहब्बत है।


सृजन जनन पालन करती है,

जो है कठिन वो सब करती है,

सहनशीलता की मूरत है,

परियों से वो खूबसूरत है,


आँचल में लाखों आसमां है,

मेरी दुनिया मेरी माँ है,

इस दोज़ख में वो एक जन्नत है,

तू मेरी पहली मुहब्बत है।


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