चुनाव
चुनाव
चुप रहिये कि
अभी सो रहा है कोई
नींद बेखलल रहे
सपने संजो रहा है कोई
ऐ हवा जरा मध्यम चलिए
झूले में खो रहा है कोई
सात रंगों की चादर में सिमटे
सुनहरे कल को बुन रहा है कोई
जिंदगी इतनी सुरीली नहीं होती
जैसा कि नई नज्म कह रहा है कोई
फिर मिलेंगे तो उनसे पूछेंगे सच
जिन्हें सपनों से भरमा रहा है कोई
रंक से राजा फिर राजा से रंक
बनाने की कवायद कोई
एक अरसे सी यह जिंदगी
तुझे भरमा रहा है कोई.
चुप रहिये कि
अभी सो रहा है कोई
एक अरसे से ऐ जिंदगी
तुझे भरमा रहा है कोई।।