आया बसंत
आया बसंत
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बिना टिकट के
गंध लिफ़ाफ़ा
घर-भीतर तक
डाल गया मौसम
रंगों डूबी
दशों दिशाएँ
विजन डुलाने
लगी हवाएँ
दुनिया से बेख़ौफ़
हवा में
चुंबन कई
उछाल गया मौसम
दिन सोने की
सुघर बाँसुरी
लगी फूँकने...
फूल-पाँखुरी,
प्यासे अधरों पर ख़ुद
झुककर
भरी सुराही
ढाल गया मौसम
पीले मधुकणों से
भर छाती पवन की
चली पुरवाई
परिमल सी
स्वर्ण कलश में
सजल केसर लिए
दिल पर
छा गया मौसम...