प्रेम संग खेलो होली
प्रेम संग खेलो होली
होली अबके साल की, बरसावे रस धार
पिचकारी भर छोड़िये,मधुरिम प्रेम फुहार
दहन होलिका संग हो, क्रोध, बैर, अभिमान
कोशिश से भी ना जले, सत्य, प्रेम, सम्मान !
प्रेम भाव से लग गले, नेह-रंग बौछार
तन मन हर्षित हों सभी,ऐसा हो त्योहार
हो अपना रूठा कोई, करना नेक विचार
पहल स्वयं कर लीजिये,भर दो पड़ी दरार !
प्रेम थाप ऐसी बजे, थिरके सब नर-नार
हर्ष और उल्लास से, पूरित हो घर द्वार
ऐसा रंग चढ़ाइये, उतरे नहीं उतार
गहरा ही होता रहे, होली में हर बार !
भाईचारे, प्रेम हित, अपने सब त्योहार
बनी रहे ये रीति यो, महके सब संसार।।