कुछ ख्वाब कुछ अरमान उनके भी थे
कुछ ख्वाब कुछ अरमान उनके भी थे
कुछ ख्वाब थे उनके भी
कुछ अरमान थे उनके भी
हर ख्वाब हर अरमान
अपने कुचल कर
वो देश की रक्षा का
भार उठाते थे
रहते थे अपनो से दूर
अपना हर फ़र्ज़
देश के लिए निभाते थे
हर पल रहते थे मुस्तैद
अपना हर कर्म निभाते थे
लेकर जान हथेली पर वो
सबकी जान बचाते थे
उम्र ही क्या थी उनकी
अभी तो जिंदगी बाकी थी
ख्वाब अपने पूरे करेंगे
ऐसी ख्वाइशें बाकी थी
क्या था पता उनको की ये आंतक
उनकी जान का दुश्मन बनेगा
वक्त बदलेगा करवट
और उनका सूरज डूबेगा
किसी माँ ने बेटा खोया
किसी बहन ने भी खोया
किसी पिता की लाठी था वो
किसी बेटी का सुपर हीरो था वो
किसी पत्नी का सुहाग था वो
क्या दुश्मनी थी आंतकवादी थी उससे
जो इतने लोगो की खुशियों छीना उसने
क्या इनके सीने में दिल नही होते
क्या इन आंतकियो को दर्द नही होता
कैसी मिट्ठी से बने है वो जिनको
किसी की जान की कोई कीमत का
अंदाजा नही होता