मशाल बुझने न दे
मशाल बुझने न दे
वक़्त आ गया अंतिम पहर का,अभी मशाल बुझने न दे!
आसमान में ये सितारे,
लड़ रहे हैं रात से,लेकर आयेंगे ये सुबह,
जी रहे इस आस से,
अभी आस मरने न दे,
अभी मशाल बुझने न दे!
चढ़ चुके सोपान पूरे,अंतिम पद आने को है,
खुद को कहीं गिरने न दे,
अभी कदम रुकने न दे,
अभी मशाल बुझने न दे!
मंजिल थोड़ी दिखने लगी,जिसके ऊपर ध्वज चढ़ा,
बस बाहें बढ़ाकर थामना है,अभी खुद को भटकने न दे,
अभी मशाल बुझने न दे!
चिर गया शरीर रण में,
रगों से रिस रहा रक्त है,
नज़र भी धुंधलाने लगी,उद्घोष होना है विजय का,
अभी सांस रुकने न दे,
अभी मशाल बुझने न दे!