ऐ मेरे वतन
ऐ मेरे वतन
कदम से कदम मिलाकर चले,
दुश्मन का शीश झुकाकर चले ।
जो आग वतन को जलाने लगे,
उस आग को हम बुझाकर चले ।।
तिरंगे पर हो जाऊं कुर्बान,
ऐ मेरे वतन, ऐ मेरे वतन ।
सिंदूर भूले,लोरी भूले,
राखी भी हम भुलाकर चले ।।
कदम से कदम मिलाकर चले,
दुश्मन का शीश झुकाकर चले ।
जो आग वतन को जलाने लगे,
उस आग को हम बुझाकर चले ।।
तिरंगे पर हो जाऊं कुर्बान,
ऐ मेरे वतन, ऐ मेरे वतन ।
सिंदूर भूले,लोरी भूले,
राखी भी हम भुलाकर चले ।।