पूरा जीवन साथ
पूरा जीवन साथ
न कसमें, न वादे
न कोई इरादे
चले सादे–सादे
जीवन के रस्ते
कुछ खट्टे, कुछ मीठे
कुछ कच्चे, कुछ पक्के
अभाव भी और भाव भी
चले साथ–साथ
शिकवे भी, शिकायत भी
कुछ बेरहमी वक्त की
और कुछ इनायत भी
हो रही है बसर
चल रही है गुजर।
बिना किसी दांव के
साथ बढ़ रहे हैं कदम
कदम से कदम साथ–साथ
दिन-रात और बात-बात
धीरे-धीरे कभी तेज-तेज
चलते हैं चलते जाना है
बंधी है डोर नाजुक
खुलेगी कभी नहीं
अपने लिए बहुत जिए
अब अपनों के लिए
घर-परिवार, रिश्ते-नाते
जान-पहचान सगे संबंधी
यार दोस्त, समाज, बच्चों का जीवन
बहुत है दायित्व, बहुत है बंधन
प्रीत की डोर पर बंधनों के गठबंधन
काम है, आराम है।
कभी हंस दिये, कभी रो दिये
चलते-चलते थक गये
दो घड़ी थमकर सुस्ता लिए
न कोई संकल्प, न कोई दृढ़ प्रतिज्ञा
फिर भी जीवन भर का साथ और पूरा
जीवन साथ-साथ गुजर गया।