"धोखा"
"धोखा"
वो धोखा जो तूने दिया
झूठी थी वो, तेरी मासूमियत
झूठी थी तेरी, वो क़ैफ़ियत
झूठे थे दिलासे, झूठी थी बातें
झूठी थी, याद में जो काटी रातें
मेरे जज़्बात पूछ्तें हैं, क्यूँ ज़ख़्म उसका हम सहते हैं
वो धोखा जो तूने दिया
तू दिल का साज़ था
मेरी हर धड़कन की आवाज़ था
सपने सारे तुझसे थे
सारे अरमां वारे तुझपे थे
तुझसे ही जुड़ी थी, मेरी उम्मीदें सारी
तेरे क़दमों से ही थी, मेरी दुनिया सारी
मेरे जज़्बात पूछते हैं ... क्यूँ दी ठोकर, उन ख़्वाबों को
क्यूँ दर्द उसका हम सहते हैं
वो धोखा जो तूने दिया
तू ही था दिल की तमन्ना
हसरत थी बस तेरा बनना
किया गैर तूने, अपना बनाकर
गया क्यों दूर, यूँ करीब आकर
मेरे जज़्बात पूछते हैं, क्यूँ आया करीब तू रकीब बनकर
रूठा है अब तू नसीब बनकर
दिल की टीस बनके तड़पाता है
वो धोखा जो तूने दिया