वधू ढूंढ रहा हूँ !
वधू ढूंढ रहा हूँ !
और भाई साहब जी !
किधर ?
बस कुछ नहीं,
कुछ तो ?
हाँ ! पुत्रवधू ढूँढ रहा हूँ।
कैसी ?
सुशिक्षित, संस्कारी,
अन्नापूर्णा, सुशील,
रूपवति, कर्तव्यनिष्ठ,
हो सबका सम्मान करने वाली,
वाणी में भी हो मधुरता का वास,
रिश्तों को निभाने की कला हो जिसमें,
खानदान का मान निभाए,
चरित्रवान,
निष्ठावान, गुणी,
धार्मिक, खानदाननी,
आँखों में अदब,
और हाँ !
सुनो वर्मा जी
खुले विचारों का है परिवार हमारा,
गर हो सरकारी अफसर लड़की
तो....
इससे पहले वह आगे कुछ कहते,
वर्मा जी बोले कुछ यूँ बोले,
बस ! बस !
फिर तो बेटा कुँवारा ही रह जाएगा,
भाई साहब का स्वर कुछ भर्राया,
ऐसा कैसे हो जाएगा ?
शर्मा जी ने दिया जवाब
अर्धांगिनी चाहिए बेटे को
क्वालिटी की दुकान नहीं,
सच्चा जीवन साथी
जो थामे डोर उसके जीवन की,
कभी टटोला है उसके मन को,
या कर रहे हो अपना तियाँ-पाँच!
समय बदला,
बदल गया जमाना,
अब बदलो अपनी सोच भी,
बेटी ढूंढों,
वधू नहीं !