Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Ekta Sarda

Others

0.8  

Ekta Sarda

Others

चाहता है मन मेरा

चाहता है मन मेरा

1 min
13.2K


चाहता है मन मेरा


अक्षरों का समूह मैं बन जाऊँ
शुरू से लेकर अंत तक मैं
मन की बात फिर कह पाऊँ
नहीं ढाल पाती ख़ुद को कभी
कुछ डरे सहमे से लहज़े में
बना के कलम को ढाल फिर
तनक तनक के लिख जाऊँ
कभी प्रियतम की चाह बनूँ
कभी मिलन की राह बनूँ
बनूँ कभी माँ की लोरी
कभी पिता का सर्वसार बनूँ
कभी नारी की पुकार बनूँ
कभी रोकने अत्याचार की ढाल बनूँ
बनूँ कभी कोई देशभक्ति गीत
कभी प्रणय का हार बनूँ
मेरे हर लफ्ज़ में हो
जयकारा अपने देश का
कभी अतंरगी भाषा बनूँ
अपने परिवेश का
है चाह यही वीर रस में 
मुझे भी लिखा जाये
मातृभूमि को याद कर
हर लफ्ज़ मेरा कहा जाऐ
चाहता है मन मेरा
अक्षरों का समूह मैं बन जाऊँ
शुरु से लेकर अंत तक
मन की बात फिर कह पाऊँ


Rate this content
Log in