डोली
डोली
1 min
3.4K
तुम्हारी गली से ही गुजरेगी
डोली मेरी, दुल्हन सी सजी धजी।
तुम भी शरीक होना बारात में
बारातियों के जैसे।
राह तकूंगी मैं, उस राह में
दोस्ती तुम निभा ना पाये,
दुश्मनी हम कर ना पाये।
भूल भी गर गये हो,
फिर भी पहचान रखना,
भले ही अनजानों जैसी।
कभी गुजरो जो मेरे आँगन से,
दो पल रुक जाना,
दहलीज के सामने।
कभी-कभार नजर आ जाऊँ,
झुमती पिया की बाँह में,
देख लेना पलकें उठाके।
सालों बाद वापस लौटूंगी
पिया की दहलीज से,
उसी डोली में।
बस फर्क ये होगा,
तब मैं ना तकूंगी,
राह तुम्हारी।
क्योंकि मैं सो रही हूंगी
गहरी नींद में।।