बेवफा सनम
बेवफा सनम
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तबियत की तबियत का ख़राब होना तो लाज़मी था,
उसका हर बात पर क्यूट क्यूट कहना जो बेईमानी था।
अब तो सिमटकर सिमटने की जगह भी न बची,
मेरे दर्दे दिल की दवा जीने की वज़ह भी न रही।
धड़कनों के धड़कने की खता ख़त से जो की,
खुले आसमां के सरतले साँस लेने की उम्मीद भी न बची।
कत्लेआम कत्लखानों में,चीखें निकलती रहीं,
कत्लों का क्या हुजूर,उनको अपने स्वाद की पड़ी। उनको अपने स्वाद की पड़ी।।