तेरी लगन में
तेरी लगन में
कान्हा भूलो ना तुम मीरा के प्रेम को
वह है अथक त्याग और बलिदान में
इकतारा की मधुर धुन पे डोल रहा जग सारा
हो गई अमर युगों-युगों से वो तेरी लगन में।
वृंदावनमे धूम मची राधा रानी के प्रेम की
गीत बसे मीरा रानी की जन मन में
कभी सजी बांसुरी तुम्हारे होठों पर
आज कहां खो गए द्वारकाधीश नगरी में।
कान्हा प्यारे तुम्हें पुकारे बांसुरी
राधा की मंशा है अब भी अधूरी
एक बार मिलने आ जाओ तुम
ना तड़पाओ द्वारकाधीश मुरारी।
ना आए ब्रज में कभी मिलने राधा से
ना आए कभी मिलने भोली मीरा से
तुम तो सागर की लहरों पर
बीच कमल के बैठ गए दुलारे से।
इक भई जोगन तुम्हारे प्रेम में
एक भाई मगन तुम्हारी याद में
क्यों जलाया कान्हा तुमने विरह में
ना छोडेंगे तेरा साथ कोई जन्म में।
जब से बने तुम राजगद्दी के हकदार
छोड़ दिया प्रेम को जाते ही द्वारका में
तुम कहते हो मुझे याद आती है राधा की
लेकिन राधा तो बसी है तुम्हारे ह्रदय में।