जन्मदिन
जन्मदिन
आज जन्मदिन पर एक तोहफ़ा खास लाया हूं...
मेरी मुहब्बत तू कल भी थी,
आज भी है बस ये एहसास लाया हूं
तू चमकता चाँद मैं रात का अंधेरा...
मैं स्याह काली रात तू जगमगाता सवेरा
मेरा वजूद भी यहां तेरे बिन है अधूरा
मुस्कुरा देना तू बस मैं हो जाऊंगा पूरा
इस जुस्तजू में हूं कि किसी तरह
तेरे होठों पर मुस्कुराहट जमा दूं मैं
किसी तरह कुछ पल के लिए ही
तुझे सारी ख़ुशियाँ दिला दूं मैं
जो बे राग हो चुका अरसों से उसको तुम धुन देना
जो अनकही आवाज़ खो चुकी उसे तुम सुन लेना
थोड़ा देर ही सही फिर मैं सब कबूल जाऊँगा
तुम्हारा जन्मदिन वो भी मैं आखिर कैसे भूल जाऊँगा
कड़कती धुप में बचा सके
ऐसी बदरिया लाया हूँ...
अगर तेरी राह के कंकड न हटा सकूँ
चलेंगे नंगे पैर कि देख मैं अपने चप्पल छुपा आया हूँ
जाम कोई भी मेरे लबो पे आता नहीं कभी
पर मैं तेेरे लिए जिंदगी का नशा लाया हूँ
मैं कवि हूँ कोई महल नहीं ला सकता हूँ
खुशी मैं सिर्फ शब्दों में जता सकता हूँ...