सुसुप्त संवेदना
सुसुप्त संवेदना
आज ह्रदय बड़ा बेचैन था, कितना कमजोर भी हो गया है न ! दुनिया के दुखों का दर्द सहते और देखते । मगर बेचारा कुछ कर नहीं पाता है ,बस भीतर ही भीतर चीत्कार करता रहता है बोल-बाला तो बस दिमाग का ही है न ।
उदास --परेशान होकर घूम रहा था कि अचानक उसकी निगाह दिमाग पर पड़ गयी और दिमाग के चेहरे पर कुटिल मुस्कान बिखर गयी ''आज बड़े परेशान से लग रहे हो --क्या बात ह्रदय भाई ?''
तभी सामने भीड़ इकट्ठी देखकर दिल उस तरफ़ दौड़ा और देखा कि एक बुजुर्ग व्यक्ति सड़क पर खून से लथ-पथ तड़प रहा था । ह्रदय विचलित सा हो गया । करुणा से भर गया और तुरंत उस घायल व्यक्ति की सहायता करने के लिये दौड़ा ,परंतु यह क्या ? दिमाग ने अपना पलड़ा भारी कर दिल को दबा दिया और हाथ को जेब के अंदर डाला मोबाइल निकालकर तुरंत वीडिओ बनाने को उद्धत हो गया। अगर यह वीडिओ सोशल नेटवर्क पर डाउनलोड कर दिया तो बहुत से कमेंट और लाइक्स मिलेंगे। सभी इसी में मशगूल थे। बेचारे बुजुर्ग के प्राण-पखेरू उड़ चुके थे । एक बार फिर विजय दिमाग की ही हो गयी। दिल बेचारा फिर कमजोर पड़ गया और आँसुओं से उसकी आँखैं नम हो गयी। दिमाग के मुख पर विषैली मुस्कान फैल गयी ।काश कि दोनो में एकता होती !